Sep 27, 2016

वाह री माया तेरा खेल, महल के बाद भेजे जेल-हिन्दी रचना (Vaah ri maya tera khel,mahal ke bad Bheje jail-HindiRachana)

                               जिस तरह दीपक के नीचे अंधेरा होता है ठीक उसी तरह माया के पीछे वीभत्स सत्य भी होता है। अपने आकर्षण में फंसाकर सदैव मनुष्यों को अपनी पीछे दौड़ाती है पर जब किसी को अपने पीछे का भयानक सत्य दिखाती है तो वह डर जाता है। बड़े बड़े तपस्वी राम का दर्शन नहीं कर पाते पर भोगी भी कहां माया को देख पाते हैं। एक से दस, दस से सौ, और सौ से हजार के क्रम में माया इंसान को अपने मोहपाश में फंसाकर भगाती जाती है। आदमी हमेशा ही यह सोचता है कि माया अभी उसके हाथ नहीं आयी। कभी कभी माया ऐसा प्रहार भी करती है कि पूरा का पूरा परिवार चौपट हो जाता है।
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                          नोट-भ्रष्टाचार की चर्चा हमारे यहां बहुत होती है। ऐसे लोग भी भ्रष्टाचार को लेकर रोते हैं जो स्वयं ही इसमें लिप्त हैं। अनेक लोग अनाधिकृत पैसा अधिकार की तरह लेते हैं। जो पकड़े नहीं गये वह तो साहुकार होते हैं पर जो रंगे हाथों पकड़े जाते हैं उन्हें सभी चोर कहते हैं। आत्मग्लानि या कुंठा से चौपट हुए एक परिवार की कहानी देखकर तमाम विचार आये। कहना पड़ता है कि-
वहा री माया तेरा खेल,
घी चखे जिसने देखा न तेल।
रास्ते से उठाकर पहुंचाये महल
कभी कभी पहुंचाती जेल।
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संपर्क-.दीपक राज कुकरेजा
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