आरामदायक गद्दे इसलिये भी नहीं आते हैं,
उनके लिये रोगों का होना जरूरी है
जो अमीरों के ही हिस्से में आते हैं।
तीर्थ में जाकर सर्वशक्तिमान के दर्शन कर
स्वर्ग मिल जाता,
पर वहां पवित्र सरोवरों में
स्नान कर भी
देह का कूड़ेदान साफ नहीं हो पाता,
जाने को पैसा नहीं है
फिर भी मजदूरों की देह से
बहते हुए अमृत रूप पसीने में
कई रोग बाहर बह जाते हैं।
पसीना है वह पवित्र नदी
जिसमें मेहनतकश की तैर पाते हैं।
लेखक संपादक-दीपक भारतदीप, Gwalior
http://rajlekh-patrika.blogspot.com
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