माहिर खिलाड़ी
आजकल फरिश्ते कहलाते हैं।
अब होनहार घुड़सवार होने का प्रमाण
दौड़ में जीत से नहीं मिलता,
दर्शकों की तालियों से अब
किसी का दिल नहीं खिलता,
दौलतमंदों के इशारे पर
अपनी चालाकी से
हार जीत तय करने के फन में माहिर
कलाकार ही हरफनमौला कहलाते हैं।
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काम करने के हुनर से ज्यादा
चाटुकारिता के फन में उस्ताद होना अच्छा है,
अपनी पसीने से रोटी जुटाना कठिन लगे तो
दौलतमंदों के दोस्त बनकर
उनको ठगना भी अच्छा है।
अपनी रूह को मारना इतना आसान नहीं है
इसलिये उसकी आवाज को
अनसुना करना भी अच्छा है।
किस किस फन को सीख कर जिंदगी काटोगे
नाम का ‘हरफनमौला’ होना ही अच्छा है।
लेखक संपादक-दीपक भारतदीप, Gwalior
http://rajlekh-patrika.blogspot.com
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3 comments:
बहुत ही बढ़िया लगी पोस्ट , आपको होली की बहुत-बहुत बधाई एवं शुभकानायें ।
ये रंग भरा त्यौहार, चलो हम होली खेलें
प्रीत की बहे बयार, चलो हम होली खेलें.
पाले जितने द्वेष, चलो उनको बिसरा दें,
खुशी की हो बौछार,चलो हम होली खेलें.
आप एवं आपके परिवार को होली मुबारक.
-समीर लाल ’समीर’
yathart ka sundar chitran hai aapne. shobhanam.Dr.Lakhnavi
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