15 अगस्त भारत का स्वतंत्रता दिवस हमेशा अनेक तरह से चर्चा का विषय रहता है।
अगर हम अध्यात्मिक दृष्टि से देखें तो भारत कभी गुलाम हुआ ही नहीं क्योंकि भौतिक
रूप से कागजों पर इसका नक्शा छोटा या
बड़ा भले ही होता रहा हो पर धार्मिक दृष्टि
से भौतिक पहचान रखने वाले तत्वों में गंगा, यमुना और नर्मदा नदियां
वहीं बहती रहीं हैं जहां थीं। हिमालय और
विंध्याचल पर्वत वहीं खड़े रहे जहां थे। अध्यात्मिक दृष्टि से श्री रामायण, श्रीमद्भागवत गीता तथा
वेदों ने अपना अस्तित्व बनाये रखा-इसके लिये उन महान विद्वानों को नमन किया जाना
चाहिये जो सतत इस प्रयास में लगे रहे। भारत दो हजार साल तक गुलाम रहा-ऐसा कहने
वाले लोग शुद्ध राजसी भाव के ही हो सकते हैं जो मानते हैं कि राज्य पर बैठा शिखर
पुरुष भारत या यहां की धार्मिक विचारधारा मानने वाला नहीं रहा।
हम जब अध्यात्मिक दृष्टि से देखते हैं तो पाते हैं कि विदेशों से आयी अनेक
जातियां यहीं के समाज में लुप्त हो गयीं पर उस समय तक विदेशों में किसी धार्मिक
विचाराधारा की पहचान नहीं थी। जब विदेशों में धार्मिक आधार पर मनुष्य में भेद रखना
प्रारंभ हुआ तो वहां से आये राजसी व्यक्तियों ने भारत में आकर धार्मिक आधार पर भेद
करने वाला वही काम किया जो वहां करते
थे। अब तो स्थिति यह है कि भारतीय
विचाराधारा न मानने वाले लोग यहीं के प्राचीन इतिहास से परे होकर विदेशी जमीन से
अपनी मानसिक सोच चलाते हैं। पाकिस्तानी
मूल के कनाडाई लेखक तारिक फतह ने एक टीवी चैनल में साक्षात्कार में अपने ही देश की
विचारधारा की जो धज्जियां उड़ाईं वह अत्यंत दिलचस्प है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान का मुसलमान यह सोचता
है कि वह अरब देशों से आया है जबकि उसे समझना चाहिये कि वह प्राचीन भारतीय
संस्कृति का हिस्सा है।
भारतीय उपमहाद्वीप में आये विदेशी लोगों ने यहां अपना वर्चस्प स्थापित करने
के लिये जो शिक्षा प्रणाली चलाई वह गुलाम पैदा करती है। अगर हम राजसी दृष्टि से भी
देखें तो भी आज वही शिक्षा प्रणाली प्रचलन में होने के कारण भारत की पूर्ण आजादी
पर एक प्रश्न चिन्ह लगा मिलता है। लोगों
की सोच गुलामी के सिद्धांत पर आधारित हो गयी है।
विषय अध्यात्मिक हो या सांसरिक हमारे यहां स्वतंत्र सोच का अभाव है। लोग या तो दूसरों को गुलाम बनाने की सोचते हैं
या फिर दूसरे का गुलाम बनने के लिये लालयित होते हैं। इसलिये स्वतंत्रता दिवस पर
इस बात पर मंथन होना चाहिये कि हमारी सोच स्वतंत्र कैसे हो?
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कवि एवं लेखक-दीपक राज कुकरेजा 'भारतदीप'
ग्वालियर, मध्य प्रदेश
कवि, लेखक और संपादक-दीपक "भारतदीप",ग्वालियर
poet, writer and editor-Deepak "BharatDeep",Gwalior
http://rajlekh-patrika.blogspot.com
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