Jun 29, 2007

याद आते हैं शराब के नशे में गुजरे पल

राहुल ने उसके लिए पूछा था-''आंटी, अंकल की आँखें हमेशा लाल क्यों रहती हैं? क्या वह शराब पीते हैं?

आंटी ने कहा-हाँ, बहुत पीते हैं। बेटा तुम ही उन्हें समझाओ न!

राहुल ने कहा-'आंटी, मैं उन्हें कैसे समझा सकता हूँ? वह तो मुझसे बडे हैं उन्हें खुद ही समझना चाहिए। उल्टे हम पीयें तो वह हमें समझायें।"

वह आकर अपने पति से लड़ने लगी-"देखो पड़ोस का बच्चा भी तुम्हें शराबी के तरह देखता है, कितने शर्म की बात है? हम लोगों को क्या समझाएं

वह चुपचाप सुनता रहा। उसने पीना नहीं छोडा। रोज शाम को काम से आने के बाद उसका पीना शुरू हो जाता था । बरसों तक वह दौर चला, परिवार और रिश्तेदारों में भी वह बदनाम हो गया था। एक बार राहुल ने उससे कहा था-" अंकल दिन-ब-दिन आपका चेहरा काला पड़ता जा रहा है । क्या आपका स्वास्थ्य ठीक नहीं रहता, किसी डाक्टर को दिखाईये न !

वह उसका मंतव्य समझ गया, पर फिर भी अपने नशे से उसे इतना प्यार था कि वह हर बात को बेशर्मी से टाल जाता था।

मगर आज वह ऐसा नहीं था। आज राहुल ने उसे वायरलेस इयर फोन देते हुए कहा-"अंकल, लीजिये यह इयर फोन मैं आपके लिए लाया हूँ । अभी तक ईमेल के जरिये ही संपर्क रखते हैं , कितनी बार आपको चैट के लिए ट्राई किया पर आप लाईन पर होते है और अपने लिखने में इतना व्यस्त रहते हैं कि ध्यान ही नहीं देते। अब मैं यह आपके कंप्यूटर में लगा कर जा रहा हूँ , और आप और आंटी मुझसे बात करियेगा। में आपका लिखा इन्टरनेट पर पढता हूँ और चाहता हूँ कि आपसे बात भी करता रहूँ।"

फिर वह आंटी से बोला-"क्या बात है अंकल एकदम बदल गये हैं, कंप्यूटर पर लिखने लगे हैं , और चेहरा तो पहले से कहीं ज्यादा खिलने लगा है । मैं तो अंकल को देखकर हैरान रह गया।

वह बोलीं-"अब तुम्हारे अंकल ने शराब छोड़ दीं है और योग साधना और ध्यान में मस्त रहते हैं , और फिर आजकल यह इण्टरनेट पर लिखने लगे हैं और पीना तो भूल ही गये हैं। काम से वापस आते ही लिखने बैठ जाते हैं।

" हाँ, मैंने इनके लिखे लेखों को देखकर समझ लिया था, इतना लिखते हैं तो पीने के लिए समय ही कहॉ मिलता होगा। "राहुल खुश होकर अंकल की तरफ देखते हुए बोला।

उसने राहुल से वायरलेस इयर फोन हाथ में लिया और मैं उसे देख रहा था, मुझे याद आते हैं वह पल क्योंकि वह मैंने ही जिए थे। मैं खुद हैरान था और सोच रहा था 'क्या वाकई वह मैं ही था।'

2 comments:

Udan Tashtari said...

लेखन भी एक नशा है मगर कितना हसीन और सृजनात्मक. चलिये, यह सज्जन जो भी है, नकली नशे की गिरफ्त से छुटे और अब असली लुत्फ उठायेंगे नशे का भी और जीवन का भी. शुभकामनायें.

ePandit said...

आपकी बात अंत में जरा सपष्ट नहीं हुई। क्या यह सत्य घटना है? क्या कहानी में जो 'वह' है वो आप हैं?

खैर ये सज्जन जो हैं इनका ब्लॉग शुरु करवा दीजिए, फिर देखिए सब नशे कैसे छूटते हैं। लेकिन हाँ ब्लॉगिंग का नया नशा लग जाएगा। :)