(२ जनवरी को वर्डप्रेस पर प्रकाशित व्यंग्य की पुन: प्रस्तुति)
दरवाजे पर दस्तक हुई तो ब्लोगर की पत्नी ने खोला सामने वह शख्स खडा था जिसके बारे में उसे शक था कि वह भी कोई ब्लोगर है-उस समय उसके गले में फूलों की माला शरीर पर शाल और हाथ में नारियल और कागज था। इससे पहले कुछ कहे वह बोल पडा-''नमस्ते भाभीजी!''आप कहीं ब्लोगर तो नहीं है? आप पहले भी कई बार आए हैं पर अपना परिचय नहीं दिया-'' उस भद्र महिला में कहा।
"कैसी बात करती हैं?मैं तो ब्लोगरश्री हूँ अभी तो यह सम्मान लेकर आया हूँ-''ऐसा कहकर वह सीधा उस कमरे में पहुंच गया जहाँ पहला ब्लोगर बैठा था।
उसे अन्दर आते देख वह बोला-"क्या बात है यह दूल्हा बनकर कहाँ से चले आये।
''दूसरे ब्लोगर ने कहाँ-''आपको बधाई हो। मेरा सम्मान हुआ है।
''पहले ब्लोगर ने कहा-''सम्मान तुम्हारा हुआ है, बधाई मुझे दे रहे हो?''दूसरा-''तुम तो मुझे दोगे नहीं क्योंकि मुझसे जलते हो.''
पहला ब्लोगर उससे कुछ कहता उसकी पत्नी बोल पडी-बधाई हो भाईसाहब, चलो आपका सम्मान तो हुआ। जरूर आप अच्छा लिखते होंगे। इनकी तरह फ्लॉप तो नहीं है।'
दूसरा ब्लोगर-''भाभीजी, आप खुश हैं तो आज चाय का एक कप पिला दीजिये।''
वह बोली-'आप आराम से बैठिये, मैं चाय के साथ बिस्कुट भी ले आती हूँ।''
पहला ब्लोगर बोला-"चाय तक तो ठीक है पर बिस्कुट बाद में ले आना पहले देख तो लूं इसे सम्मान कैसा मिला है?''
पत्नी ने कहा-'चाहे कैसा भी है मिला तो है। आपके नाम तो कुछ भी नहीं है वैसे भी घर मेहमान का सम्मान करना चाहिए ऐसा कहा जाता है।''
वह चली गयी तो दूसरा बोला-''यार, तुम में थोडा भी शिष्टाचार नहीं है, मुझे सम्मान मिला है तो तुम थोडी भी इज्जत भी नहीं कर सकते।
पहला-''यार, जितनी करना चाहिऐ उससे अधिक ही करता हूँ, पहले यह बताओं यह सम्मान का क्या चक्कर है? तुमने अभी तक लिखा क्या है?''
दूसरा-''जिन्होंने दिया है उनको क्या पता?मोहल्ले के लोगों में यह बात फ़ैल चुकी है कि मैं इंटरनेट पर लिखता हूँ। इस वर्ष से उन्होने अपने कार्यक्रम में किसी को सम्मानित करने का विचार बनाया था। मैंने कुछ लोगों को समझाया कि देखो अपने यहाँ भी कई प्रतिभाशाली लोग हैं उनको सम्मानित करना शुरू करो इससे हमारी इज्जत पूरे शहर में बढेगी और अखबारों में खबर पढ़कर अपने नाम भी लोगों की जुबान पर आ जायेंगे।''
पहला ब्लोगर-'यह माला, शाल और नारियल कहाँ से आये इसका खर्चा किसने दिया? और यह हाथ में कौनसा कागज पकड रखा है?''
दूसरा ब्लोगर-''हमारे पास एक मंदिर है उसके बाहर जो आदमी माला बेचता है उससे ऐसे ही ले आया। यह नारियल बहुत दिन से घर में उसी मंदिर में चढाने के लिए रखा था पर भूल गए थे। यह शाल सेल से मेरी पत्नी ले आयी थी पर पहन नहीं पायी, और यह कागज़ नहीं है, उपाधि है, इसे मैंने खुद अपने कंप्यूटर पर टाईप किया है अब इस पर भाभीजी के दस्तक कराने हैं। वहाँ मुझे इस लायक कोई नहीं लगा जिससे इस पर दस्तक कराये जाएं। ''
पहला ब्लोगर हैरानी से उसकी तरह देख रहा था। इतने में वह भद्र महिला उसके लिए बिस्कुट ले आयी तो वह बोला-''भाभीजी, आप मेरे इस सम्मान-पत्र पर दस्तक कर दें तो ऐसा लगेगा कि मैं वाकई सम्मानित हुआ। आपने इतनी बार मुझे चाय पिलाई है सोचा इस बहाने आपका कर्जा भी उतार दूं। ''
वह खुश हो गयी और बोली-''लाईये, मैं दस्तक कर देती हूँ, हाँ पर इनको पढ़वा दीजिये तब तक मैं चाय बनाकर लाती हूँ।''
वह दस्तक कर चली गयी तो पहला ब्लोगर कागज़ अपने हाथ में लेते हुए बोला-''मुझसे क्यों दस्तक नहीं कराये?'
दूसरा बोला-''क्या पगला गए हो? एक ब्लोगर से दस्तक करवाकर अपनी भद्द पिट्वानी है। आखिर ब्लोगरश्री सम्मान है?''
पहले ब्लोगर ने पढा और तत्काल दूसरे ब्लोगर के सामने रखी बिस्कुट के प्लेट हटाते हुए बोला-''रुको।
दूसरे ब्लोगर ने हैरान होते हुए पूछा-''क्या हुआ?''
पहले ब्लोगर ने कहा-''इसमें एक जगह लिखा है ब्लोगश्री और दूसरी जगह लिखा है ब्लोगरश्री। पहले जाकर तय कर आओ कि दोनों में कौनसा सही है? फिर यहाँ चाय पीने का सम्मान प्राप्त करो।'
दूसरा ब्लोगर बोला-''अरे यार, यह मैंने ही टाईप किया है। गलती हो गयी।''
पहला ब्लोगर--''जाओ पहले ठीक कर आओ। दूसरा कागज़ ले आओ।
दूसरा ब्लोगर-अरे क्या बात करते हो? ब्लोग पर तुम कितनी गलतिया करते हो कभी कहता हूँ।'
पहला-"तुम मेरा लिखा पढ़ते हो?''दूसरा-''नहीं पर देखता तो हूँ।'
पहले ब्लोगर की पत्नी चाय ले आयी और बोली-''हाँ, इनको पढ़वा लिया?'' दूसरा ब्लोगर-''हाँ भाभीजी इनको कैसे नहीं पढ़वाता। इनकी प्रेरणा से ही यह सम्मान मिला है।''
पहला ब्लोगर इससे पहले कुछ बोलता उसकी पत्नी ने पूछा-''आप लिखते क्या हैं?''
दूसरा ब्लोगर चाय का कप प्लेट हाथ में लेकर बोला--''बस यूं ही! कभी आप पढ़ लीजिये आपके पति भी तो ब्लोगर हैं।''
वह बोली-''पर आप तो ब्लोगरश्री हैं।''
पहला ब्लोगर बोला-''ब्लोगरश्री कि ब्लोगश्री।''
दूसरे ब्लोगर ने उसकी बात को सुनकर भी अनसुना किया और चाय जल्दी-जल्दी प्लेट में डालकर उदरस्थ कर उठ खडा हुआ और बोला-''बस अब मैं चलता हूँ। और हाँ इस ब्लोगर मीट पर रिपोर्ट जरूर लिखना।''
पहले ब्लोगर ने पूछा-''क्या लिखूं ब्लोगरश्री या ब्लोगश्री?''
दूसरा चला गया और पत्नी दरवाजा बंद कर आयी और बोली-''आप कुछ जरूर लिखना।''
पहले ब्लोगर ने पूछा-''तुमने दस्तक तो कर लिया अब यह भी बता तो क्या लिखूं..........अच्छा छोडो।
जब वह लिखने बैठा तो सोच रहा था कि मैंने तो उससे पूछा ही नहीं कि इस पर कविता लिखनी है या नहीं चलो इस बार भी हास्य आलेख लिख लेता हूँ
नोट- यह काल्पनिक हास्य-व्यंग्य रचना है और किसी व्यक्ति या घटना से इसका कोइ संबंध नहीं है और किसी से मेल खा जाये तो वही इसके लिए जिम्मेदार होगा.
दरवाजे पर दस्तक हुई तो ब्लोगर की पत्नी ने खोला सामने वह शख्स खडा था जिसके बारे में उसे शक था कि वह भी कोई ब्लोगर है-उस समय उसके गले में फूलों की माला शरीर पर शाल और हाथ में नारियल और कागज था। इससे पहले कुछ कहे वह बोल पडा-''नमस्ते भाभीजी!''आप कहीं ब्लोगर तो नहीं है? आप पहले भी कई बार आए हैं पर अपना परिचय नहीं दिया-'' उस भद्र महिला में कहा।
"कैसी बात करती हैं?मैं तो ब्लोगरश्री हूँ अभी तो यह सम्मान लेकर आया हूँ-''ऐसा कहकर वह सीधा उस कमरे में पहुंच गया जहाँ पहला ब्लोगर बैठा था।
उसे अन्दर आते देख वह बोला-"क्या बात है यह दूल्हा बनकर कहाँ से चले आये।
''दूसरे ब्लोगर ने कहाँ-''आपको बधाई हो। मेरा सम्मान हुआ है।
''पहले ब्लोगर ने कहा-''सम्मान तुम्हारा हुआ है, बधाई मुझे दे रहे हो?''दूसरा-''तुम तो मुझे दोगे नहीं क्योंकि मुझसे जलते हो.''
पहला ब्लोगर उससे कुछ कहता उसकी पत्नी बोल पडी-बधाई हो भाईसाहब, चलो आपका सम्मान तो हुआ। जरूर आप अच्छा लिखते होंगे। इनकी तरह फ्लॉप तो नहीं है।'
दूसरा ब्लोगर-''भाभीजी, आप खुश हैं तो आज चाय का एक कप पिला दीजिये।''
वह बोली-'आप आराम से बैठिये, मैं चाय के साथ बिस्कुट भी ले आती हूँ।''
पहला ब्लोगर बोला-"चाय तक तो ठीक है पर बिस्कुट बाद में ले आना पहले देख तो लूं इसे सम्मान कैसा मिला है?''
पत्नी ने कहा-'चाहे कैसा भी है मिला तो है। आपके नाम तो कुछ भी नहीं है वैसे भी घर मेहमान का सम्मान करना चाहिए ऐसा कहा जाता है।''
वह चली गयी तो दूसरा बोला-''यार, तुम में थोडा भी शिष्टाचार नहीं है, मुझे सम्मान मिला है तो तुम थोडी भी इज्जत भी नहीं कर सकते।
पहला-''यार, जितनी करना चाहिऐ उससे अधिक ही करता हूँ, पहले यह बताओं यह सम्मान का क्या चक्कर है? तुमने अभी तक लिखा क्या है?''
दूसरा-''जिन्होंने दिया है उनको क्या पता?मोहल्ले के लोगों में यह बात फ़ैल चुकी है कि मैं इंटरनेट पर लिखता हूँ। इस वर्ष से उन्होने अपने कार्यक्रम में किसी को सम्मानित करने का विचार बनाया था। मैंने कुछ लोगों को समझाया कि देखो अपने यहाँ भी कई प्रतिभाशाली लोग हैं उनको सम्मानित करना शुरू करो इससे हमारी इज्जत पूरे शहर में बढेगी और अखबारों में खबर पढ़कर अपने नाम भी लोगों की जुबान पर आ जायेंगे।''
पहला ब्लोगर-'यह माला, शाल और नारियल कहाँ से आये इसका खर्चा किसने दिया? और यह हाथ में कौनसा कागज पकड रखा है?''
दूसरा ब्लोगर-''हमारे पास एक मंदिर है उसके बाहर जो आदमी माला बेचता है उससे ऐसे ही ले आया। यह नारियल बहुत दिन से घर में उसी मंदिर में चढाने के लिए रखा था पर भूल गए थे। यह शाल सेल से मेरी पत्नी ले आयी थी पर पहन नहीं पायी, और यह कागज़ नहीं है, उपाधि है, इसे मैंने खुद अपने कंप्यूटर पर टाईप किया है अब इस पर भाभीजी के दस्तक कराने हैं। वहाँ मुझे इस लायक कोई नहीं लगा जिससे इस पर दस्तक कराये जाएं। ''
पहला ब्लोगर हैरानी से उसकी तरह देख रहा था। इतने में वह भद्र महिला उसके लिए बिस्कुट ले आयी तो वह बोला-''भाभीजी, आप मेरे इस सम्मान-पत्र पर दस्तक कर दें तो ऐसा लगेगा कि मैं वाकई सम्मानित हुआ। आपने इतनी बार मुझे चाय पिलाई है सोचा इस बहाने आपका कर्जा भी उतार दूं। ''
वह खुश हो गयी और बोली-''लाईये, मैं दस्तक कर देती हूँ, हाँ पर इनको पढ़वा दीजिये तब तक मैं चाय बनाकर लाती हूँ।''
वह दस्तक कर चली गयी तो पहला ब्लोगर कागज़ अपने हाथ में लेते हुए बोला-''मुझसे क्यों दस्तक नहीं कराये?'
दूसरा बोला-''क्या पगला गए हो? एक ब्लोगर से दस्तक करवाकर अपनी भद्द पिट्वानी है। आखिर ब्लोगरश्री सम्मान है?''
पहले ब्लोगर ने पढा और तत्काल दूसरे ब्लोगर के सामने रखी बिस्कुट के प्लेट हटाते हुए बोला-''रुको।
दूसरे ब्लोगर ने हैरान होते हुए पूछा-''क्या हुआ?''
पहले ब्लोगर ने कहा-''इसमें एक जगह लिखा है ब्लोगश्री और दूसरी जगह लिखा है ब्लोगरश्री। पहले जाकर तय कर आओ कि दोनों में कौनसा सही है? फिर यहाँ चाय पीने का सम्मान प्राप्त करो।'
दूसरा ब्लोगर बोला-''अरे यार, यह मैंने ही टाईप किया है। गलती हो गयी।''
पहला ब्लोगर--''जाओ पहले ठीक कर आओ। दूसरा कागज़ ले आओ।
दूसरा ब्लोगर-अरे क्या बात करते हो? ब्लोग पर तुम कितनी गलतिया करते हो कभी कहता हूँ।'
पहला-"तुम मेरा लिखा पढ़ते हो?''दूसरा-''नहीं पर देखता तो हूँ।'
पहले ब्लोगर की पत्नी चाय ले आयी और बोली-''हाँ, इनको पढ़वा लिया?'' दूसरा ब्लोगर-''हाँ भाभीजी इनको कैसे नहीं पढ़वाता। इनकी प्रेरणा से ही यह सम्मान मिला है।''
पहला ब्लोगर इससे पहले कुछ बोलता उसकी पत्नी ने पूछा-''आप लिखते क्या हैं?''
दूसरा ब्लोगर चाय का कप प्लेट हाथ में लेकर बोला--''बस यूं ही! कभी आप पढ़ लीजिये आपके पति भी तो ब्लोगर हैं।''
वह बोली-''पर आप तो ब्लोगरश्री हैं।''
पहला ब्लोगर बोला-''ब्लोगरश्री कि ब्लोगश्री।''
दूसरे ब्लोगर ने उसकी बात को सुनकर भी अनसुना किया और चाय जल्दी-जल्दी प्लेट में डालकर उदरस्थ कर उठ खडा हुआ और बोला-''बस अब मैं चलता हूँ। और हाँ इस ब्लोगर मीट पर रिपोर्ट जरूर लिखना।''
पहले ब्लोगर ने पूछा-''क्या लिखूं ब्लोगरश्री या ब्लोगश्री?''
दूसरा चला गया और पत्नी दरवाजा बंद कर आयी और बोली-''आप कुछ जरूर लिखना।''
पहले ब्लोगर ने पूछा-''तुमने दस्तक तो कर लिया अब यह भी बता तो क्या लिखूं..........अच्छा छोडो।
जब वह लिखने बैठा तो सोच रहा था कि मैंने तो उससे पूछा ही नहीं कि इस पर कविता लिखनी है या नहीं चलो इस बार भी हास्य आलेख लिख लेता हूँ
नोट- यह काल्पनिक हास्य-व्यंग्य रचना है और किसी व्यक्ति या घटना से इसका कोइ संबंध नहीं है और किसी से मेल खा जाये तो वही इसके लिए जिम्मेदार होगा.
No comments:
Post a Comment