याचना करने से भीख मिलती हैं
वाचना करने से इनाम
जिन्दगी एक खेल है
चलती है अपनी राह अपनी अदा से
आदमी लिखना चाहता उस पर नाम
जहाँ खामोशी होना चाहिए
वहाँ जोर से चिल्लाता है
जहाँ करना चाहिए आवाज
वहाँ डर कर बंद कर लेता आँख
अनेक दुश्मन मान लेता अनाम
ख्वाहिशें पूरी होने के अनुमान से
चक्कर काटता है नकली मोहब्बत की गलियों में
सोचता है शायद कहीं हो जाये
उसके दिल के पूरे अरमान
रखा जिन्होंने अपने पर भरोसा
जिन्दगी में वही छोड़ते हैं
दूसरों को सीखने के लिए
अपने पैरों के निशान
याचना और वाचना करने वाले
अपने घर भर सकते हैं
दुनिया भर के साजो-सम्मान
जो वक्त के साथ उनके घर का
कबाड़ भी बन जाता है
सस्ते में खो देते हैं स्वाभिमान
जिन्होंने जिया अपनी जिन्दगी को
अपने तरीके से
अपना सम्मान सजाया है दिल में
ईमान के साथ सलीके से
नहीं जुटाया कोई अपने बैठने के लिए फर्नीचर
कई इतिहास के खंभे खडे हैं
लिखा है जिन पर उनका नाम
समसामयिक लेख तथा अध्यात्म चर्चा के लिए नई पत्रिका -दीपक भारतदीप,ग्वालियर
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--- ज़माने पर सवाल पर सवालसभी उठाते, अपने बारे में कोई पूछे झूठे जवाब जुटाते। ‘दीपकबापू’ झांक रहे सभी दूसरे के घरों में, गैर के दर्द पर अपन...
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तुम तय करो पहले अपनी जिन्दगी में चाहते क्या हो फिर सोचो किस्से और कैसे चाहते क्या हो उजालों में ही जीना चाहते हो तो पहले चिराग जलाना सीख...
2 comments:
जिन्होंने जिया अपनी जिन्दगी को
अपने तरीके से
अपना सम्मान सजाया है दिल में
ईमान के साथ सलीके से
नहीं जुटाया कोई अपने बैठने के लिए फर्नीचर
कई इतिहास के खंभे खडे हैं
लिखा है जिन पर उनका नाम
sateek...
जहाँ खामोशी होना चाहिए
वहाँ जोर से चिल्लाता है
जहाँ करना चाहिए आवाज
वहाँ डर कर बंद कर लेता आँख
अनेक दुश्मन मान लेता अनाम
ख्वाहिशें पूरी होने के अनुमान से
चक्कर काटता है नकली मोहब्बत की गलियों में
Bahut Badhiaya
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