समसामयिक लेख तथा अध्यात्म चर्चा के लिए नई पत्रिका -दीपक भारतदीप,ग्वालियर
Apr 8, 2007
फिर भी बंगलादेश हीरो नहीं है
क्रिकेट की सुप्रीम बाड़ी की बैठक समाप्त गयी और जिस तरह के फैसले लिए गए वह केवल लीपापोती से ज्यादा कुछ ज्यादा नहीं है। विश्व कप में भारतीय टीम कि हार का ठीकरा किसी एक पर फोड़ना संभव नहीं था। जिस पर फूटता वह दुसरे की पोल खोल देता। जब सब फंसे हौं तो उनमें एकता हो ही जाती है। बंगलादेश से हारना ऐसे मान लिया गया कि जैसे कोइ आम बात है। कल दक्षिण अफ्रीका बंगलादेश से हार गया तो भारतीय खिलाड़ियों ने राहत की सांस ली होगी मगर जनाब दक्षिण अफ्रीका के खिलाड़ियों में भी कितने दूध के धुले होंगे । उन पर भी फ़िक्सिंग के आरोप है। उनके खिलाड़ियों से भारत की पुलिस पूछताछ कर चुकी है हो सकता है कि भाई लोगों ने संदेश भेजा हो कि यार, जरा संकट से उबारो हमारी टीम इंडिया भारी संकट में है, अगर यहाँ क्रिकेट मिट तो हम भी मिट कर कहॉ जायेंगे । अपनी टीम के नाक बचाने वास्ते भारतीय मीडिया कितना भी कहे जो क्रिकेट के जानकार खेल प्रेमी है वह आज बंगलादेश की टीम को आज भी लचर मानते हैं । दक्षिण अफ्रीका के खिलाड़ियों ने भी सोचा होगा कौन एक हार से फर्क पड़ता है? यह सोचकर वह पिट गए हौं । पर वह थोडा उस्ताद हैं इस तरह मैच हारते हैं जैसे जमकर खेलें हों । ऐसा लगता ही नहीं है कि उन्होंने जीतने की कोशिश न की हो। बहरहाल बंगलादेश की जीत का यह मतलब कतई नहीं है वह कोइ शक्तिशाली या मजबूत टीम है
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भारत चीन सीमा पर गोली चलाने की खबर सात दिन बाद आये तो समझ लो वहां नित कुछ बड़ा चल रहा है। ------------------ विरोधी नेता एवं पत्रक...
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