हमारे लिए जिनके मन में दर्द है
उनका प्यार हमें डरा देता है
सोचते हैं कि हम ही झेलें अपनी पीडा
किसी दूसरे को क्यों सताएं
हमारे लिए कोई और तडपे
यह ख्याल ही दर्द बढा देता है
समय गुजरता जायेगा
अपने इरादों को हम पहुंचा देंगे
यही सबको बताते
पर लोग हैं कि यकीन नहीं करते
हमें पसीना बहते देख
अपनी आंखों में पानी लाते
अक्ल के अंधे
बेरहम जमाने से लड़ते देख
पल-पल घबडा जाते
हम सोचते हैं कि वह क्यों नहीं होते दूर
चैन से हमें अपने जिन्दगी की जंग
कभी लड़ने क्यों नहीं देते
अपनी जिन्दगी से
पर कह नहीं पाते
फिर ख्याल आता है
जिन्दगी की जंग की हार-जीत से
बहुत बड़ी है हमदर्दी और प्यार
जो हम अपने चाहने वालों से पाते हैं
यही ख्याल हमें अपने से दूर हटा देता है
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समसामयिक लेख तथा अध्यात्म चर्चा के लिए नई पत्रिका -दीपक भारतदीप,ग्वालियर
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1 comment:
bahut khub kabhi hum akele bhi rehna chahe,phir bhi mann ko hamdardi aur pyar ki aas hoi hi hai.
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