समसामयिक लेख तथा अध्यात्म चर्चा के लिए नई पत्रिका -दीपक भारतदीप,ग्वालियर
May 13, 2007
मौसमविदों से पूछकर खेलेंगे क्रिकेट
भारतीय क्रिकेट कण्ट्रोल बोर्ड के अधिकारीयों ने तय किया है कि इस उपमहाद्वीप में में क्रिकेट मैचों के आयोजन के लिए मौसम विभाग की मदद लेगा ताकी मैचों को वर्षा और गर्मी के प्रकोप से बचाया जा सके। अभी बंगलादेश में भारतीय खिलाड़ी भारी गर्मी में खेल रहे हैं और मौसमविदों की भविष्यवाणी है टेस्ट मैचों के दौरान ६० से ८० प्रतिशत तक वर्षा की संभावना है। मेरा मानना है कि यह देर से लिया गया फैसला है और शायद लिया भी इसीलिये गया है क्योंकि उसके अध्यक्ष भारत के कृषी मंत्री है और मौसम के मामले में विशेष रूचि लेते हैं।मुझे याद है जब भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव ख़त्म करने की दृष्टि से पहली क्रिकेट श्रंखला आयोजित की गयी थी, उसमें लाहौर और मुल्तान में खेले गये टेस्ट मैचों में तापमान भारत में उत्तरीय इलाकों जितना ही था और एकदम गरम था। मुझे उस समय भारत और पकिस्तान के खिलाडियों पर तरस आ रहा था, मैंने अपने एक मित्र के सामने टिप्पणी की थी कि -"यार, देखो इन बिचारों को कितनी गर्मी में खेल रहे हैं , हम लोग खेलना तो दूर इतने तापमान में बाहर निकलने के लिए भी तैयार नहीं हैं।
"तब वह मुझसे बोला था-" अरे यार, उन्हें तो लाखो और करोड़ों रूपये मिलते हैं , और रूपये में वह ताकत है कि गर्मी में ठंडी और ठंडी में गर्मी अपने आप पैदा हो जाती है। "
उसकी बात मैं मान लेता पर दर्शकदीर्घा में पचास लोग भी नहीं थे जो इस बात का प्रमाण था कि भीषण गरमी में पैसे की ठंडक में खिलाड़ी खेल जाये पर दर्शक कभी नहीं आने वाला। स्टेडियम में जाकर देखना तो दूर घर पर कूलर में बैठकर देखना भी तकलीफ देह हो जाता है , देखते देखते नींद आने लगती है । पूरे उपमहाद्वीप में एक जैसा मौसम होता है इसीलिये यह नहीं कहा जा सकता कि केवल भारतीय खिलाडियों या दर्शकों को ही इससे तकलीफ होती है। बंगलादेश के खिलाडियों और दर्शकों के लिए भी यही हालत होगी , पर भारतीय क्रिकेट कण्ट्रोल बोर्ड को अब इसीलिये भी ध्यान आया क्योंकि भारत में क्रिकेट के लिए लोगों में आकर्षण कम हो रहा है और इससे उनकी विरक्ति आर्थिक रुप से उसके लिए और नुकसानदेह होने वाली है। इसकी वजह से उसके आर्थिक स्त्रोत का जल स्तर वैसे ही नीचे जा रहा है और गर्मी उसे बिल्कुल सुखा डालेगी । भूमि का जल स्तर तो वर्षा के साथ बढने लगता है पर भारतीय क्रिकेट के लिए धन का स्तर अब चार साल अगले विश्व कप तक तो बढने वाला नहीं है और गर्मी का यही हाल रहा तो एकदम सूख भी सकते हैं ।
कुछ इस गर्मी के बारे में भी कहे बिना मेरी बात पूरी नहीं होगी। पूरे विश्व में तापमान बढ रहा है और यह मौसम विदों के लिए चिन्ता का विषय है। पिछले एक दशक से गर्मी १२ में से ११ महीने पड़ने लगी है। इस वर्ष मैंने शायद ही १५ दिन से अधिक हाफ स्वेटर पहना होगा। बाकी दिन तो मैं सुबह स्कूटर में उसे डाल कर ले जाता ताकी कहीं आसपास बर्फबारी की वजह से ठंड न बढ जाये, और अगर ऐसा हो तो स्वेटर पहनकर अपना बचाव किया जा सके। मैं पहले तेरीकात की शर्ट पहनता था पर बढती गर्मी ने मुझे इतना तंग किया कि अब होजरी की बनी बनाई टीशर्ट पहनने लगा हूँ और उससे आराम भी मिलता है और तनाव कम होता है। मुझे टीशर्ट पहनते हुए छ: वर्ष हो गये हैं और साल में दस महीने वही पहनता हूँ । जब से टीशर्ट पहनना शुरू की है तब से तैरीकात की कोई शर्ट नहीं सिल्वाई जो रखी हैं वही नयी लगती हैं। उन्हें सर्दी में ही पहनता हूँ।
क्रिकेट तो वैसे भी सर्दी का खेल है और उस पर इस महाद्वीप की दो बड़ी टीमें खस्ता हाल हैं और लोगों का अब इसके प्रति आकर्षण कम होता जा रहा है ऐसे में यह गर्मी उसके लिए संकट ही पैदा करने वाली है। क्रिकेट से जुडे धंधों के भी स्त्रोत अब सूखना शुरू हो गये हैं। इस समय देश के कई बडे शहर पाने के संकट से गुजर रहे हैं किसे फुर्सत है कि बंगलादेश पर भारत की जीत पर जश्न मनाए? आदमी पहले अपने लिए पाने की तो जुगाड़ कर ले, शायद यही वजह है कि क्रिकेट के लोग अब अपने कार्यक्रम मौसमविदों से पूछकर बनाने की सोच रहे हैं ।
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