समसामयिक लेख तथा अध्यात्म चर्चा के लिए नई पत्रिका -दीपक भारतदीप,ग्वालियर
May 5, 2007
माया पर आख़िर सत्य की विजय होगी
हालांकि मुझे एक बात की तसल्ली है कि इसमें जो संत फंसे हैं वह पहले भी विवादों में फंस चुके हैं, और जो इसे देश के लोक संत हैं उनका नाम नहीं है। कुछ लोग इसे अपने धर्म पर आक्षेप समझ रहे हैं और तमाम तरह के आरोप चैनल पर लगा रहे हैं जबकि मैं मानता हूँ कि यह कोई तरीका नहीं है , इस देश में हजारों संत हैं और उनमें भी कई ऐसे तपस्वी हैं जो समाज के सामने तक नहीं आते । भारत में संत समाज को सम्मान की दृष्टि से देखा जाता है इसीलिये कुछ धन्धेबाज भी इसमें घुस जाते हैं जिनका उद्देश्य केवल अपने लिए संपत्ति जोड़ना होता है ऐसे लोगों के पर्दाफाश से विचलित नहीं होना चाहिऐ । हमें तो ऐसे संतों पर गर्व करना चाहिए जो देश में ही नहीं विदेशों भी भक्तो को भक्ती और विश्वास का रस चखाते हैं । जिन लोगों की पोल खुली है उनका प्रचार तो होगा पर ;सब जानते हैं कि बुराई को जितनी जल्दी प्रचार मिलता है मिलती है उतनी जल्दी थमता है । अच्छाई को देर से सम्मान मिलता है पर वह स्थाई होता। एक बात और है कि धर्म की रक्षा केवल सत्य से ही हो सकती है इसीलिये धर्म के लिए असत्य को स्वीकारना गलत होगा। हमारा धर्म का हिस्सा संत परंपरा है पर वह कोई पांच-सात तथाकथित संतों और बाबाओं की दम पर नहीं टिका है।
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लड़ते रहो दोस्तो ख़ूब लड़ो किसी तरह अपनी रचनाएं हिट कराना है बेझिझक छोडो शब्दों के तीर गजलों के शेर अपने मन की किताब से निकल कर बाहर दौडाओ...
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